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दिनांक: 25-Feb-2001
रातों को होता है अंधेरा इतना, जो बिसरा देता है तेरी ख्वाबों को |
दिन को होता है प्रकाश इतना, जो लुटता है सरेआम तेरी यादों में |


- डॉ.संतोष सिंह


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