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दिनांक: 06-Nov-2001
आस भी कैसी रहती है, जो अनजान जगहों पे छुडती हैं मोहब्बत को |
कल्पना कहो या ख्वाब, में रहना चाहता हूँ हर पल उनके साथ |


- डॉ.संतोष सिंह


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