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दिनांक: 06-Nov-2001
यारों मेरे जनाजे को फूलों से ना सजाना |
चुभे हैं इतने काँटे जीवन के हर दौर में |
कही चुभ न जाये तेरे हाथों को |


- डॉ.संतोष सिंह


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