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दिनांक: 17-Oct-2001
जलती है बाती मदद से तेल की रोशन करते हुए जहाँ को |
प्रभु तेरे बिन हम है आधे अधूरे, करना चाहें कीतना भी कहाँ तेरा |
या प्रभु तेरे बिन हम है आधे अधूरे, करना चाहे कहने को क्या ना हो कुछ |


- डॉ.संतोष सिंह


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