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दिनांक: 07-Oct-2001
बद रहा था कदम प्यार की राह में प्यार के जोर से |
एक के बाद एक पड़ाव आते जा रहे थे, पर कदम थमने का नाम ना ले रहे थे ।


- डॉ.संतोष सिंह


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