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दिनांक: 27-Apr-2001
मर गया, मर गया जीते जी संतोष मर गया |
जिंदा रहने पे जो सुकून न था |
मरके कहाँ से पायेगा, जो पाना था उसको छोड़के,
दुनिया के पीछे संतोष, मर गया |


- डॉ.संतोष सिंह


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