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दिनांक: 22-Nov-2016
रोशन जिसको ’खुदा' करे, बुझाये बुझती नहीं ज़माने की हवा से |
वो तो मसरुफ है मोहब्बत में, उनको जमाने की हवा कहाँ लगे |
ऐसा मधुर बनो की गुड़ भी शरमा जाये
दिल के धड़कन पे, ’प्रभु' के पग भी थिरक जाएँ |


- डॉ.संतोष सिंह


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