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दिनांक: 04-Aug-2011
सनम! अगर होता मेरे हाथों में, कब का कर गुज़र गया होता |
मजबूर हूँ दुनियाँ में, कैसे खड़ा करूँ सवाल तुझपे |


- डॉ.संतोष सिंह


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