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Hymn No. 2195 | Date: 28-Feb-2001
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बहोत मुश्किल है उसके लिये कुछ कहना, मानता नही किसीका कहना।
बहोत मुश्किल है उसके लिये कुछ कहना, मानता नही किसीका कहना।
रहता है अपने आप में, अपने ही बारे में गीत गाते हुये।
इलजामों को भी सहके, इकरार न करे अपने खूबियों का।
करता है कभी इससे उलट, निश्चित न है कहना कुछ उसके बारे में।
सारे तौर तरीकों से परे रहता है इस मायावी जग में।
दंग हो जाओगे जब रंग जाओगे उसके प्यार के रंग में।
अंग अंग खिल उठेगा कमल के समान, जब तुम बन जाओगे उसके।
गाते चलोगे गीत प्यार के, बहाते चलोगे मस्ती का ज्वार संसार में।
यारों होता है सब कुछ, जब होती है कृपा उसकी।
कोई सोच सकता नहीं, धरा पे रहते हुये रहते हो कहाँ तुम।


- डॉ.संतोष सिंह