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Hymn No. 2037 | Date: 15-Oct-2000
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मेरे मन की जानने वाले कब आयेगा, वो दिन जब रंगा होगा अंग अंग तेरे प्यार के रंग
मेरे मन की जानने वाले कब आयेगा, वो दिन जब रंगा होगा अंग अंग तेरे प्यार के रंग
सूनी निगाहो से निहारता जा रहा हूँ एकटक बता दे कब छायेगा इनमें तेरे प्यार का सुरुर।
ऐसा क्या तब्दील होना बाकी है मेरे मन में, जिसके बाद मिलेगा मुझे प्यार करने का गुर्।
खाली खाली सा लगता है भरता नही जी मेरा, प्रिय तुझे अपना बनाने के वास्ते क्या करना अभी बाकी है।
मजबूर क्यूँ हूँ जिसकी वजह से हुआ हूँ दूर, कब होगा जरूर जो बना जायेगा तूझे मेरे दिल का हजूर।
मत खेल इतना संग मेरे उखड जाये श्वास अधूरे खेल में, तू अगर चाहता है ऐसा हो हमको न है गुरेंज इससे।
रहता हूँ बेचैन लगता नहीं दिल किसी बात में, दिल का हाल सुनाता हूँ तुझे कब जानूँगा दिल का राज तुझसे।
अकाज किया बिन कोई कारन् से, पर अब तो आ गया तेरे पास तो तू क्यूँ करवा रहा है आकाज मुझसे।
किस और से क्या होना बाकी है, जो तारी न कर पा रहा है हमको तेरे प्यार के नशे में।
दशा हर पल बिगड़ती जा रही है फिर भी गम न है हमको हाल पे अपने, पर दशा हो कैसी भी चल जायेगी चल न पाऊँगा तेरे बिन एक कदम।


- डॉ.संतोष सिंह