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Hymn No. 1679 | Date: 22-Apr-2000
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काबिल नहीं मैं भी किसी काम के, कुछ ऐसा नहीं जो ना हो तुझसे।
काबिल नहीं मैं भी किसी काम के, कुछ ऐसा नहीं जो ना हो तुझसे।
तेरे हाथों में सब कुछ, फिर भी निरंतर तू करता पुरूषार्थ हम सबके वास्ते।
समझ नहीं पातें बिन समझे लगा देते है दोष, हर भूल को नाम देके तेरा।
ऊलजलूल फितरतों में खोये हुये कहते है, करने – करवाने वाला है तू।
दरियादिल है तू, सब जानके चुपचाप सह लेता है मुझको।
माफ न जाने कितनी बार किया, कहा हुआ तेरा ना करके दिखाया।
जो भी हुआ तेरी कृपा से, उसपे भी नाज कर बैठा खुद के करने का।
समझा हुआ भी गँवाया, लाख तेरे चाहने पे भी समझना न चाहा।
किसी को देखना हो इकट्ठे दोषो का पुलिन्दा, तो देख ले मुझको।
एक बड़ी है कृपा तेरी मुझपे, इतना सब कुछ होके रखे हुये है पास हमको।


- डॉ.संतोष सिंह