दिल में है जो तू हमारे, किसी और को कैसे स्थान दूँ ।

Bhajan No.1224 | Date: 22-Jul-1999

दिल में है जो तू हमारे, किसी और को कैसे स्थान दूँ ।
तेरी तरह हन नहीं, जो हर इक से नैन लडाए अलग-अलग ।
प्यार हमारा तुझसे है, तेरे सिवाय भेद आ जाता है मन में ।
छलिया तेरी बात अलग है, तुमने ही रचा इस मायावी दुनिया को ।
प्रभु हमारा प्यार-प्यार है, कोई खेल नहीं, मत खेलना तू इससे ।
आदत है तेरी खेलने की बहुत पुरानी, इक नयी दुनिया बसाकर दूसरी बनाने की।
माना अज्ञानी है हम, स्वार्थवश दूर हुए थे तुझसे ।
पर ये भी सच है, हमारे दिल में प्रेम है तेरे वास्ते ।
होंगे मन के कई और पहलु, हर पहलु का होगा अपना इक अलग रूप ।
पर आज प्रेम से ओत-प्रोत होकर थिरक रहा हूँ आनंद में ।


- डॉ.संतोष सिंह