ओं.. मेरे श्याम-घमश्याम, चारों ओर गूँजे तेरा नाम ।

Bhajan No.1215 | Date: 17-Jul-1999

ओं.. मेरे श्याम-घमश्याम, चारों ओर गूँजे तेरा नाम ।
क्या भीतर क्या बाहर, हुआ प्यार में तेरे राममय मैं ।
जो मैं कर ना सका, वह कर दिखाया प्यार ने तेरे ।
बीतने लगा जीवन का हर पल, रँगकर प्यार में तेरे ।
गूँज रही है मन में मेरे, रसभरी मुरली की गूँज ।
जो प्यास ना मिटी थी अमृत को पीकर, मिट गई रास रचाकर तेरे संग ।
रोम-रोम उमंगों में झूमे, तेरे गीतों के तरंगो से टकराकर ।
प्यार में बावरा बनकर चला मैं, अपने साँवरे से मिलने ।
प्रीत की आग जो लगी थी तन-मन में, बुझ गई प्रेम का हलाहल पीकर ।
साँस लेना हुआ दुर्भर मेरा, जब प्यार मेरा साकार हुआ काका स्वरूप में ।


- डॉ.संतोष सिंह