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दिनांक: 20-Mar-2001
देखते देखते बहक जाते हैं, जब छुपी आग दहक जाती है |
लग जाती है आग तब जीवन में, बचता नहीं कुछ खाक के सिवाय |


- डॉ.संतोष सिंह


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