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दिनांक: 25-Mar-2008
उमड़ते-घुमड़ते बादल, आज नहीं तो कल कहीं न कहीं बरसते हैं |
तू ही बता मन में उमड़ने वाले बादलों की बरसात कीसके दर पे हो |


- डॉ.संतोष सिंह


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