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दिनांक: 29-Jul-2007
तन-मन के बंधन से मुक्त पाता हूँ, जो तुझमें खो जाता हूँ |
जैसे कलम उठाता हूँ, खुद को जकड़ा पाता हूँ |


- डॉ.संतोष सिंह


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