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दिनांक: 28-Mar-2001
रास नहीं आता मेरा संग, तो कर देना रुखसत महफ़िल से तेरी |
ज़िंदगी तो जी लूँगा तेरे बगैर, पर कर न सकूँगा बेरुखसत तुझे यादों से |


- डॉ.संतोष सिंह


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