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Hymn No. 2317 | Date: 15-May-2001
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है... माँ तेरे सम्मुख बैठके गाये गीत, तेरा पुत्र तेरा दिल जीतने के लिये।
है... माँ तेरे सम्मुख बैठके गाये गीत, तेरा पुत्र तेरा दिल जीतने के लिये।
हर समय रहता है इसी धून में, ऐसी कौन सी धुन गाऊँ जो तू रीझ जाये मुझपे
चलती रहती है पल दर पल कोशिश, आशा-निराशाओं के गर्त से उबरके तुझे पाने की।
पता है तेरी ओर से न कोई कमी है, जानके भी दूर कर नही पा रहा हूँ अपनी कमियों को
धीरे-धीरे शब्द भी लगे है साथ छोड़ने, फिर भी कोशिश पे कोशिश किये जा रहा हूँ।
पीछे के कर्म डाले राह में बाधा, बंधता हूँ कई बार फिर भी जोर लगा रहा हूँ तुझ तक।
सहम जाता हूँ कैसा गया गुजरा बालक हूँ, जो आज तक न देख पाया माँ को अपनी।
हें जगतजननी कभी न सोचा था तुझे खुश करने में असफल होनें पे रोऊँगा रोना बेबसी का।
फिर भी कुछ भी करके कैसे भी इस जीवन में पाना चाहता हूँ तुझको अथक प्रयासों से।


- डॉ.संतोष सिंह