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Hymn No. 2312 | Date: 10-May-2001
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प्रभु बहुत सोचा ऐसा क्या अर्पित कर दूँ तुझे कि हो जाये तू मेरा।
प्रभु बहुत सोचा ऐसा क्या अर्पित कर दूँ तुझे कि हो जाये तू मेरा।
ध्यान लगाया बहुत जान से, ऐसा क्या कर दूँ तू भूल जाये तेरा भान।
शान को तेरी लगा दूं चार चांद, ऐसा कौन सा काम कर जाऊँ तेरा।
कुछ भी करके बहकाना चाहता हूँ तेरे मन को, जो पिरो लूँ तेरे मन को अपने मन में।
गीत ऐसा कौन सा गाऊँ मचल पड़े तेरा दिल, खिला जाये जो जीवन मेरा।
बयां करना चाहूँ कोई ऐसी बात जो गुदगुदा, जाये तेरे अंतर को।
ऐसा कौन सा जंतर बन्धू, जब चाहे तू दौड़ा चला आये तू पास मेरे।
दास बनके करुँ तेरी सेवा कुछ ऐसी, मालिक तू कह उठे वाह, वाह।
कुछ ऐसा कर्म करुँ जो सांचके रख लूँ, तुझे दिल में अपने सदा के लिये।
रूखबदले दुनिया का रूख न बदले मेरा, चाहे मिट जाऊँ प्रभु तेरे पीछे।


- डॉ.संतोष सिंह