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Hymn No. 2308 | Date: 05-May-2001
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जहे नसीब जो आप जैसा मेहरबान मिला, कदरदान तो न थे फिर भी आपकी नजरे इनायत मिली।
जहे नसीब जो आप जैसा मेहरबान मिला, कदरदान तो न थे फिर भी आपकी नजरे इनायत मिली।
दाग था दामन पे न जाने कितने कर्मों का, फिर भी तेरे पास पनाह मिली।
पिलाया जाम प्यार का नजरों से भर भरके, बेवफा को भी प्यार का ईनाम मिला।
सँवरना न आया तो रोना रोया हालातों का, फिर भी टूटे हुये मन को ढाढस बंधाया तूने।
हमारी करतूतों की परवाह किये बगैर, देता रहा सिला तू मेहरबानियों का।
तेरी बड़ाई करके बरगलाना न चाहता हूँ तुझको, हाँ कुछ भी करके कर दिखाना चाहता हूँ।
चलते चला हूँ अहसास प्यार भरा तेरा लेके, उसे व्यर्थ न जाने देना चाहता हूँ।
कड़वाहटों से भरे दौर को हंसते हुये, कोई नया गीत गाते पार कर जान चाहता हूँ।


- डॉ.संतोष सिंह