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Hymn No. 2304 | Date: 03-May-2001
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भर दे, भर दे तु मेरे अंदर प्यार का समंदर, हिलोर लेने लगे रोम रोमे में मेरे।
भर दे, भर दे तु मेरे अंदर प्यार का समंदर, हिलोर लेने लगे रोम रोमे में मेरे।
नजरों से टपकें हर पल, जो मिलाऊँ नजर तुझसे तो मदहोश कर जाऊँ।
कसम से भगा लें जाऊँगा, कोई न पायेगा, लाख ढूँढेगे तेरे आशिक जमाने में।
करुँगा इस्तकबॉल उसके प्यार का, जो नजर से झाँकती तेरी छबि को पहचान लेंगे।
पर दाद तब दूंगा, जब मेरे दिल को चीरके तुझे आजाद करा देंगे।
मैं कोई दीवाना नहीं न ही परवाना, मैं तो अपने प्यार की मस्ती में रहनेवाला सिरफिरा
तो कभी किसी बात की करता नहीं परवाह, हार जीत का होता नहीं कोई असर।
अपनी में बहता हूँ, जब तक निहारूँ यार की नजरों को प्यार से।
किये देता हूँ खबरदार, ऐ बहते हुये वख्त कोई आ रहा है तुझे थामने को।
बिन कहे करने वाले होंगे हजारों, कहके करने आया हूँ प्रभु तेरे प्यार के सहारे।


- डॉ.संतोष सिंह