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Hymn No. 2297 | Date: 30-Apr-2001
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सनम खेला कितना खेल हमसे फिर भी हमने न की चूं।
सनम खेला कितना खेल हमसे फिर भी हमने न की चूं।
बार बार रोये मन ही मन पर पहुँचे हंसते हुये पास तेरे।
न जाने कितने गम थे, निकलने सा लगता था दम।
साए ने भी साथ छोडा, तो अपनों की बात कहाँ।
तुझसे कहना चाहा बहुत कुछ, पर न दिया तूने कान।
बढाना चाहा कुछ करके ऐसा, कि बढ़ जाये तेरी शान।
पर कहीं न कहीं चूक करता गया, तेरा नाम बिगडता गया।
सहा तूने भी कम नहीं, गिरते रहे हमारे कर्मों के बम।
फिर भी प्यार से श्रध्दा ओर विश्वास के बीज तू बोतें गया।


- डॉ.संतोष सिंह