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Hymn No. 2295 | Date: 29-Apr-2001
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कोई ऐसी बात न करनी है जो दुखा जाये तेरे दिल को।
कोई ऐसी बात न करनी है जो दुखा जाये तेरे दिल को।
कोई ऐसी बात न कहनी है जो छू जाये तेरे मन को।
न ही छेड़ना है तेरे प्रियों को जो रमते है हर पल तुझमें।
इतना भी अभान न रहना है, जो जान न पाऊँ तेरी नागवारी को।
तुझसे दूर रहूँ या नजदीक, जीवन के हर पल में अहसास हो तेरा।
लम्हा हो कैसा पर चित्त में विभ्रम पैदा न कर पाये कभी तेरे प्रति।
तेरे मन को जैसा रूचता हो, वैसा करके तुझे खूश रखते रहूँ।
तेरे वास्ते छोड़ना पड़े अपनो या गैरों को, तो करूँ न पल भर को देर।
किसी भी कीमत पे जो मिले तू बेशकिमती, हिचक न आये किंचित भी।
बनता है जग सारा बैरी तो बन जाने दूंगा, पर न तुझे खोने दूंगा।


- डॉ.संतोष सिंह