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Hymn No. 2293 | Date: 28-Apr-2001
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उनकी निगाहों से प्यार बरसते देखां, फिर भी तरसते रहे हम।
उनकी निगाहों से प्यार बरसते देखां, फिर भी तरसते रहे हम।
पीना चाहा पर घूटं भरके रह गये, छलक गया जो निगाहों से हमारे।
कसम से खुदा इतना बदनसीब तू न बनाना किसीको, कर्मों के नाम पे दिल न दुखाना।
गम खाके जी लेंगे जिंदगी, पर तेरे बिना पल भर को रह न सकेंगे।
तेरी मर्जी तो नहीं जानता, पर कई बार दिलोजांन से चाहता हूँ तुझको।
फनाह हो जाऊँगा तो तेरा नाम लूंगा, बंद आंखो से तेरा दीदार करुँगा।
चस्पाना न चाहूंगा तेरे नाम पे अपना ठस्का, लोग शक कर लेंगे जो तेरे उपर।
प्यार के दौर में गुजर जान चाहता हूँ, भूली बिसरी यादें तेरी बनकें।
प्यार के कारण के जुमाई दिगों के पीछे चलना चाहता हूँ चुपचाप होके।
बड़ी नरम जान इस दिल को है तूने बनाया, अब भी सता जाती है किसीकी नजर।
कर दे इतनी सी मेहरबानी नजर में नजर का फर्क कर न पाये कोई।
जागते हुये सोये नहीं रहना चाहता, तेरे रहते मरा हुआ जिंदा नही रहना चाहता।


- डॉ.संतोष सिंह