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Hymn No. 2201 | Date: 02-Mar-2001
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लगा दूं गीतों की झड़ी तेरे सामने आते ही।
लगा दूं गीतों की झड़ी तेरे सामने आते ही।
हर लूँ तेरे मन को, सुना सुनाके भोली बातें।
जाने तू सब कुछ, फिर भी जताऊँ अपने मुख से।
चैन न आये तेरे बिना, बरसे नैन झर झर।
तरसे तेरे वास्ते चकोर की तरह, बरसाना प्यार सदा।
पपीहे की तरह आवाज दूं बन बन में फिरते हुये।
कातर दिल पुकारे तोहे, याचना भरे शब्दों में।
याचक मैं तेरा, फरियाद करते फिरू बेवफाई की।
जो बात बता न सकूँ, कह दो नयनों से।
जो भाव उभरे दिल में, उसी भाव में रमता जाऊँ तुझमे।


- डॉ.संतोष सिंह