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Hymn No. 2198 | Date: 28-Feb-2001
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मेरी कोई औकात नहीं प्यार की दुनिया में, जहाँ होते है एक से बढ़के एक परवाने।
मेरी कोई औकात नहीं प्यार की दुनिया में, जहाँ होते है एक से बढ़के एक परवाने।
दीवानगी का आलम होता है, दीवानो की महफिल में अंजाम भी घुसने से पहले डरता है अंजाम से।
तारी रहता हैं जुनून आशिकी का हर दिल पे, होश में रहते हुये मदहोशी में रहते है प्यार के।
मस्तानो का मत पूछो हाल, गलने नहीं देते किसी की दाल प्यार में, चाहे हो जाये जो हाल प्यार में।
जंग जारी रहती है प्यार से, प्यार के वास्ते करते है अख्तियार हर रास्ता प्यार से।
गैर भी होते है अपने, वहाँ कोई नहीं अलग दिखता है जिसे देखो वो जपता है माला प्यार की।
एक से बढके एक खेल जाते है दाव प्यार में, जीतने हारने वालों का होता है अंजाम एक।
जनमों जनम के बाद मिलती है संगत इस महफिल की, बिना प्यार के रंग में रंगे फटके न कोई अंदर।
प्यार से बढके रहता ना कोई काम, दुनिया भरकी जिम्मेवारी को निभाते हुये पीते है प्यार का जाम।
जनाजा जब निकलता है किसी यार का, तो आसुओं के बदले लगाये जाते है कंहे कहकहे पढते हुये प्यार के कसीदे।


- डॉ.संतोष सिंह