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Hymn No. 1997 | Date: 26-Sep-2000
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अरें कब तक रहेगा परे तू, चलेगा कब तक खेल नजरों से नजर मिलाने का।
अरें कब तक रहेगा परे तू, चलेगा कब तक खेल नजरों से नजर मिलाने का।
चाहत बढ गयी है इतनी, नजरें जो झुकाऊँ तो नजर आये तू दिल में मेरे।
जाना न हो तेरे दर्शन के वास्ते किसी चौखट पे, मिल जाये जो तू मुझे मन मंदिर में।
मांग ले तू आज जो कुछ भी मुझसे, मेरी इस मांग को पुरी कर देने के वास्ते।
बाट जोहि न जाने कब से, पलकें बिन झपकाये एकटक तकता रहा तेरी ओर।
दौर पे दौर गुजरता रहा तेरा आना जाना लगा रहा, पर अब तू बस जा साथ मेरे।
मत दे तू झांसा शब्दों का, कि तू तो रहता है मेरे दिल में सदा से।
ना कहके मानता हूँ तेरी बात, पर दे दे मुझे वो अंतर चक्षु जिससे दर्शन करूं तेरा सदा।
करमों का टोटका तोड़ना होगा तुझे, जिसके कारण सूझके न कुछ भी सूझे मुझे।
अनायास विफल तू ना होने देना मुझे, पर मेरी सफलता का जाम तू ही पीते रहना।


- डॉ.संतोष सिंह