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Hymn No. 1995 | Date: 25-Sep-2000
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तलाश रहती है जीवन में हर पल कुछ और की सब को।
तलाश रहती है जीवन में हर पल कुछ और की सब को।
रोकें रूकता नहीं हर पल कुछ ना कुछ करने में गुजर जाता है जीवन।
अच्छे बुरे के पैमाने में बंध के करते है कुछ नया होने के वास्ते।
बांधे बंधता नही बांध लेते है हम अपने आपको पुरानी विधा से।
साधने में खुद को रहता नहीं विश्वास, साधते रहते है दुनिया भर को।
अनजान न है हम किसी बात से पर तोड़ नहीं पाते पूर्व की आदतों को।
सफर करने में रखते है विश्वास, किसी बता की करते नहीं सब्र।
गुजर बसर में गुजार देते है अपने आपको, कब के पास पहुचने पे करना चाहते कुछ।
जब कट जाता हें सफर, तब भाग्य के कर्मों के सिवाय रहता नहीं हाथ में कुछ।
विवश हों जाते है जीवन का बचा हिस्सा भेड़ चाल बनके गुजारने के वास्ते।


- डॉ.संतोष सिंह