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Hymn No. 1994 | Date: 25-Sep-2000
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मधुबन में रहता है घनश्याम, तो बना दे मेरे हृदय को मधुबन ओ मेरे घनश्याम।
मधुबन में रहता है घनश्याम, तो बना दे मेरे हृदय को मधुबन ओ मेरे घनश्याम।
मन हो जिसका वहीं ले पाता है हर पल उसका नाम कर दे मन को पवित्र ओ मेरे मुरली मनोहर।
बांवरापन चाहिये उसको रिझाने के लिये तो भर दे कूट कूटके मेरे दिल में ओ मेरे किशन कन्हैया।
आड़े आता हों याद कैसी भी मेरी, तो कर दे उसका मर्दन ओ मेरे मदन मोहन।
मोह में पड़ा हूँ तो तू कर दे नाश मेरे मोह का मोह ले मुझे ओ मेरे मनमोहन।
सुहाये अगर कुछ और मेरे दिल को तो लेना तू मुझे खींच उस और से ओ मेरे सोहन।
लुभाये मेरे दिल को कुछ और तो लेना तू लूट मुझे उस और से ओं मेरे नटवरलाल।
मोह का हो कैसा भी देना तू चीर तेरी तिरक्षी नजरिया से ओ मेरे गोपाल।
तेरा ठिकाना तो है सर्व जगत में, मेरे दिल में तू आके बस जा हमेशा के वास्ते मेरे जगतपाल।


- डॉ.संतोष सिंह