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Hymn No. 1993 | Date: 23-Sep-2000
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चुनना हो मौत और जीवन में से तो चुनूंगा उसे पहले जिसमें मिलना हो तुझसे।
चुनना हो मौत और जीवन में से तो चुनूंगा उसे पहले जिसमें मिलना हो तुझसे।
अच्छी हो या बुरी कोई हिचक नहीं जो ये सब कुछ करने से मिल जाये तू।
सयानापन हे या दीवानापन कबूल है मुझे ये सब अगर दिल को तेरे लुभाते है।
काबिलियत नाकाबिलियत से परे करुँगा वो हर कार्य जो ले जाये तेरे राह की और।
गंवारा है सब कुछ गंवारा हो जो तुझे, न ही तो नागवारियों के वास्ते पी लूंगा दिल के हर दर्द को।
सहारा ना चाहियें मुझे किसीका, बेसहारा हूँ भला जो न मिला तू जिंदगी में।
दरिंदा हूँ न जाने कितने जन्मों पुराना, पर बंद है तेरे वास्ते इस चाम के पिंजरे में दिल निवास।
तलाश तो हों गयी है पूरी, पर मिलन होना अभी बाकी हें, इसी इंतजार में गुजर रही है जिदंगी।
दोष निदोर्ष का ये खेल कब तक चलेगा, न जाने कितने जन्मों पुराना जेल यें कब टूटेगा।
देर तो हुयी है बहुत पहले से, तेरे मिलने के बाद क्यों हो रही है देर समझ नहीं आयें।


- डॉ.संतोष सिंह